*सियालदह, 07.10.2025:*

रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के पूर्व रेलवे, सियालदह मंडल के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण उपनगरीय रेलखंडों में डबलिंग (द्वितीय लाइन निर्माण) कार्य के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे (FLS) को मंजूरी प्रदान की है। यह महत्वपूर्ण निर्णय उपनगरीय कॉरিডोरों की क्षमता बढ़ाने, परिचालन दक्षता सुधारने और कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

24 सितंबर 2025 को स्वीकृत इन परियोजनाओं के तहत दोनों डबलिंग कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (Detailed Project Report – DPR) तैयार किया जाएगा।

डबलिंग परियोजनाओं के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे का महत्व

*1. चापापुकुर – हसनाबाद डबलिंग कार्य (16.54 कि.मी.)*

वर्तमान में चापापुकुर – हसनाबाद खंड एकल लाइन पर संचालित होता है, जहां प्रतिदिन लगभग 23 जोड़ी EMU ट्रेनें चलती हैं, जिससे लगभग 100% क्षमता उपयोग हो रहा है। डबलिंग कार्य पूरा होने पर ट्रेन परिचालन की जटिलता और क्रॉसिंग से होने वाली देरी में उल्लेखनीय कमी आएगी। इस परियोजना से भैबला हॉल्ट, बसिरहाट, मतनिया आनंदपुर, मध्यमपुर, निमदानरी, टाकी रोड आदि स्टेशनों के यात्रियों को विशेष लाभ मिलेगा और उत्तर 24 परगना जिले के उपनगरीय यात्रियों के लिए और अधिक ट्रेन सेवाएँ शुरू की जा सकेंगी।

*2. लक्ष्मीकांतपुर – नामखाना डबलिंग कार्य (46.56 कि.मी.)*

यह रेलखंड गंगासागर, बकखाली और हेनरीज़ आइलैंड जैसे प्रमुख तीर्थ एवं पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण लिंक है। इस रूट का क्षमता उपयोग दर 103% से अधिक है, जिससे एकल लाइन के कारण यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है। डबलिंग कार्य पूरा होने पर उदयरामपुर, कालोआन हॉल्ट, करंजली हॉल्ट, निशचिंदपुर, काशीनगर हॉल्ट, काकद्वीप, उकीलरहाट आदि स्टेशनों के यात्रियों के लिए आवागमन और अधिक सुगम और तीव्र होगा। इसके अतिरिक्त, सुंदरबन क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को भी यह परियोजना बढ़ावा देगी।

भारतीय रेल पश्चिम बंगाल में उपनगरीय अवसंरचना के तीव्र विस्तार के माध्यम से यात्रियों को अधिक सुविधाजनक, आरामदायक और सुरक्षित यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इन डबलिंग परियोजनाओं के कार्यान्वयन से सियालदह मंडल के अंतर्गत लाखों दैनिक यात्री लाभान्वित होंगे—ट्रेन परिचालन अधिक सुरक्षित, समयनिष्ठ और विश्वसनीय होगा, जिससे यात्रा का अनुभव और अधिक बेहतर एवं आरामदायक बनेगा।

इन परियोजनाओं का वास्तविक क्रियान्वयन फिजिबिलिटी अध्ययन और विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) की सफल तैयारी पर निर्भर करेगा।